ग्रहों के उपाय, वशीकरण से छुटकारा, पूजा-पाठ करवानी हो, विवाह सम्बन्धित सारी परेशानियों से छुटकारा, कारोबार / नौकरी के उपाय, वाम कर्म या काला जादू से छुटकारा, व्यक्तिगत टैरो कार्ड रीडिंग, हिन्दू, मुस्लिम या अन्य पंथ के उपाय, शरीर से सम्बन्धित बीमारी से छुटकारा, अन्य समस्यायों से छुटकारा, वशीकरण और काला जादू हटाने विशेषज्ञ, ज्योतिषी एवं टैरो कार्ड रीडर, प्रेम विवाह, शादी मे समस्या , ग्रह कलेश , पति पत्नी मे अनबन, सौतन से छुटकारा, प्यार में धोखा खाये प्रेमी प्रेमिका एक बार अवश्य संपर्क करें
ग्रहों के उपाय, वशीकरण से छुटकारा, पूजा-पाठ करवानी हो, विवाह सम्बन्धित सारी परेशानियों से छुटकारा, कारोबार / नौकरी के उपाय, वाम कर्म या काला जादू से छुटकारा, व्यक्तिगत टैरो कार्ड रीडिंग, हिन्दू, मुस्लिम या अन्य पंथ के उपाय, शरीर से सम्बन्धित बीमारी से छुटकारा, अन्य समस्यायों से छुटकारा, वशीकरण और काला जादू हटाने विशेषज्ञ, ज्योतिषी एवं टैरो कार्ड रीडर, प्रेम विवाह, शादी मे समस्या , ग्रह कलेश , पति पत्नी मे अनबन, सौतन से छुटकारा, प्यार में धोखा खाये प्रेमी प्रेमिका एक बार अवश्य संपर्क करें

जय शिवशक्ति की

सनातन धर्म में 33 कोटि देवी-देवताओं का समावेश है, उनमें भगवती काली सर्वप्रधान हैं I काली शब्द का अर्थ है: - जो “काल” की पत्नी है, वही “काली” है I काल शब्द भगवान शिवजी के लिए कहा गया है, अतः काली ही भगवान शिव की पत्नी हैं I वह ब्रह्मांड के निर्माण से पहले के समय की अध्यक्षता करती है। उनका निवास स्थान श्मशान है और उनके हथियार कृपाण और त्रिशूल हैं।

33 कोटि देवी-देवताओं में आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, इंद्र और प्रजापति शामिल हैं। कुछ शास्त्रों में इंद्र और प्रजापति के स्थान पर दो अश्विनी कुमारों को 33 कोटि देवताओं में शामिल किया गया है।

ये हैं 33 कोटि देवी-देवताओं के नाम: -
1. आठ वसुओं के नाम - 1. आप 2. ध्रुव 3. सोम 4. धर 5. अनिल 6. अनल 7. प्रत्यूष 8. प्रभाष 2. ग्यारह रुद्रों के नाम - 1. मनु 2. मन्यु 3. शिव 4. महत 5. ऋतुध्वज 6. महिनस 7. उम्रतेरस 8. काल 9. वामदेव 10. भव 11. धृत-ध्वज 3. बारह आदित्य के नाम - 1. अंशुमान 2. अर्यमन 3. इंद्र 4. त्वष्टा 5. धातु 6. पर्जन्य 7. पूषा 8. भग 9. मित्र 10. वरुण 11. वैवस्वत 12. विष्णु 4. दो अश्वानि कुमार या फिर इंद्र और प्रजापति

सनातन धर्म के अनुसार जब भी कोई मांगलिक कार्य किया जाता है तो पंचदेवों की पूजा अनिवार्य होती है। पंचदेवों में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश और सूर्य शामिल हैं, कुछ स्थानों पर ब्रह्मा के स्थान पर दुर्गा (शक्ति) को जोड़ा जाता है, इस प्रकार पंचदेव के नाम हैं: - भगवान श्री गणेश, माँ शक्ति, भगवान शिव, भगवान विष्णु और सूर्य देव ।

पंचदेव पंचभूतों के अधिष्ठाता (स्वामी) हैं I भगवान गणेश जल तत्त्व के अधिपति हैं, माँ शक्ति अग्नि तत्त्व के अधिपति हैं, भगवान शिव पृथ्वी तत्त्व के अधिपति हैं, भगवान विष्णु आकाश तत्त्व के अधिपति हैं, भगवान सूर्य वायु तत्त्व के अधिपति हैं) I भगवान गणेश के उपासकों को "गाणपत्य" कहा जाता है, माँ शक्ति के उपासकों को "शाक्त" कहा जाता है, भगवान शिव के उपासकों को "शैव" कहा जाता है, भगवान विष्णु के उपासकों को "वैष्णव" कहा जाता है और भगवान सूर्य के उपासकों को "सौर" कहा जाता है। यदि समय की कमी के कारण आप पंचदेवों की पूजा विधि का पालन नहीं कर पा रहे हैं तो आप उनके मंत्रों के माध्यम से उन्हें प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, और अगर इनकी मूर्ति स्थापित करनी है तो शास्त्रों के अनुसार मूर्ति स्थापित इन दिशाओं मैं करनी चाहिए: -

भगवान गणेश की मूर्ति को नैऋत्य कोण (दक्षिण पश्चिम दिशा) में, माँ शक्ति की मूर्ति को वायव्य कोण (उत्तर पश्चिम दिशा) में, भगवान शिव की मूर्ति को आग्नेय कोण (दक्षिण पूर्वी दिशा) में, भगवान विष्णु की मूर्ति को ईशान कोण (उत्तर पूर्वी दिशा) में और मध्य तल में अपने इष्ट देव को स्थापित करना चाहिए ।

शिव जी (महाकाल / भोलेनाथ) का स्वरुप इस प्रकार है:



शिव का स्वरुप इस प्रकार है की उनके गले में नाग राजा वासुकि, सुशोभित अर्धचंद्र, उनके बालों से बहती पवित्र गंगा नदी, उनके माथे पर तीसरी आंख, त्रिशूल उनके हथियार के रूप में, और उनके हाथ में डमरू है ।

सनातन धर्म के अनुसार “शिव” शब्द को संस्कृत में शिवा कहा जाता है, इस शब्द का अर्थ है “शुभ व्यक्ति”, जिन्हें “महादेव” भी कहा जाता है भगवान शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वह शैव धर्म में सर्वोच्च हैं, जो हिंदू धर्म की प्रमुख परंपराओं में से एक हैं Iभगवन शिव को "महाकाल" भी कहा जाता है I भगवन शिव एकमात्र ऐसे भगवान हैं, जिन्हें देवों के देव "महादेव" कहा जाता है, इस शब्द का अर्थ है “महान” I "शक्ति" यानि सर्वोच्च देवी को ऊर्जा और रचनात्मक शक्ति कहा जाता है; शिव के समान पूरक साथी के रूप में माना जाता है।

शिव को आदियोगी (प्रथम योगी) के रूप में भी जाना जाता है, उन्हें योग, ध्यान और कला का संरक्षक देवता माना जाता है, जो कैलाश पर्वत पर एक तपस्वी जीवन जीते हैं और साथ ही अपनी पत्नी पार्वती और अपने दो बच्चों, गणेश और कार्तिकेय के साथ गृहस्थ हैं। भगवान शिव “परमब्रह्म” के इस कल्याण रूप की उपासना सभी आस्तिक जनों के लिये परम मंगलमय, परम कल्याणकारी, सर्वसिद्धिदायक और सर्वश्रेयस्कर है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि देव, दानव, ऋषि, महर्षि, योगी, मुनीन्, सिद्ध, गन्धर्व, इत्यादि ही नहीं बल्की ब्रह्मा और विष्णु भी महादेव की उपासना करते हैं।

श्री शिव पुराण एक ऐसा ग्रन्थ है जो सनातन धर्म मैं अठारह पुराणों मैं से सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला ग्रन्थ है I इस ग्रन्थ को पड़ने का फल शब्दों मैं वर्णित नहीं किया जा सकता I यह ग्रन्थ भगवन भोले नाथ और देवी माता पार्वती (शक्ति) के जीवन पर केंद्रित है, इस ग्रन्थ का उपदेश भगवन सदा शिव ने जगत कल्याण हेतु खुद दिया है I

शिव पुराण भगवन शिव के विभिन्न पहलुओं का विवरण प्रदान करती है I यह शिव पुराण ग्रन्थ चौबीस हज़ार (24,000) श्लोकों से युक्त है I

इस ग्रन्थ की सात सहिताएँ हैं: -
1. विद्येश्वर संहिता
2. रुद्र संहिता
3. शतरुद्र संहिता
4. कोटिरुद्र संहिता
5. उमा संहिता
6. कैलास संहिता
7. वायु संहिता

शिव पुराण को इस भूतल पर भगवान शिव का वाङ्मय स्वरूप समझना चाहिये और सब प्रकार से इसका सेवन करना चाहिये। इसका पठन और श्रवण सर्वसाधनरूप है। शिव पुराण का प्रेमपूर्वक श्रवण भी सम्पूर्ण मनोवंछित फलों के देनेवाला है। भगवान शिव के इस पुराण को सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है तथा इस जीवन में बड़े-बड़े उत्कृष्ट भोगों का उपभोग करके अन्त में शिवलोक को प्राप्त कर लेता है।



माँ भगवती काली (शक्ति) का स्वरुप इस प्रकार है:



माता काली हमारे सनातन धर्म में पूजे जाने वाली एक प्रमुख देवी हैं, जिन्हें “शक्ति” भी कहा जाता है, "शक्ति" यानि सर्वोच्च देवी को ऊर्जा और रचनात्मक शक्ति कहा जाता है, उन्हें शिव के समान पूरक साथी के रूप में माना जाता है। माता काली का यह रूप जिसमें वह अत्यंत क्रोधित और भय प्रेत मुद्रा में रहती हैं; यह रूप सिर्फ उनके लिए है जो भीतर से दानव प्रवृत्ति के होते हैं और जिन मनुष्य के अंदर कोई दया भाव नहीं होता I शास्‍त्रों के अनुसार मां भगवती ने दुष्टों का अंत करने के लिए विकराल रूप धारण किया था जिन्हें मां ‘काली’ के नाम से जाना जाता है I शासत्रों में मां भगवती काली को महाकाल की शक्ति कहा गया है I दक्षिण दिशा में रहने वाला सूर्य का पुत्र यम काली के उपासकों को नर्क मैं ले जाने के लिए असमर्थ है और माँ काली का नाम सुनते ही भाग जाता है इसलिय माँ काली को ‘दक्षिणा काली’ भी कहा जाता है I पुरुष को ‘दक्षिण’ और नारी को ‘वामा’ कहा जाता है I वही स्त्री रूप वामा दक्षिण पर विजय पाकर मोक्ष प्रदियिनी बनी इसलिए उन्हें तीनों लोकों में दक्षिणा कहा जाता है I दक्षिणमूर्ति भैरव ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की थी इस कारण भी इन्हें दक्षिणाकाली कहा जाता है I भगवती आद्या काली अथवा दक्षिणा काली अनादिरूपा सारे चराचर की स्वामिनी हैं I दस महाविद्याओं मैं सर्वप्रधान हैं अतः इन्हें महाविद्या भी कहा जाता है I इन्हीं भगवती की वेद मैं भद्रकाली के रूप मैं स्तुति की गयी है I

काली का अर्थ है “समय” और “काल” ऐसा माना जाता है कि इनकी उत्पत्ति समय और काल से पापियों के नाश के लिए हुई थी। भगवन शिव जी की पत्नी काली के विभिन रूप हैं यही कारण है की तंत्र शासत्र के ज्ञाता भगवती को ही आद्याशक्ति महामाया के नाम से पूजते हैं यह कभी सृष्टि का नाश, कभी स्तिथि और कभी प्रलय करती हैं, इस अखंड शक्ति के आसित ही शिव सृष्टि का संहार करने मैं समर्थ हो पाते हैं, अन्यथा वह शव के तुल्य हो जाते हैं I भद्रकाली के रूप/भेद असंख्य हैं (सभी देवियाँ, योगनियाँ आदि भगवती का ही प्रतिरूप हैं) तो भी इनके आठ भेद प्रमुख हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं :- दक्षिणा काली , सिद्धि काली, स्पर्शमणि काली, सन्ततिप्रदा काली, चिंतामणि काली, कामकला काली, हंसकाली और कुंभ काली हैं I इनके अतरिक्त भद्रकाली, शमशान काली, और महाकाली यह तीन भेद भी विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं और इनके उपासना भी विशेष रूप से की जाती है I

भगवती काली जब अपने भक्त पर प्रसन होती हैं तो अपने साधक को मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति करती हैं, भगवती काली अपने उपासकों पर स्नेह रखने वाली तथा उनका कल्याण करने वाली हैं I भगवती काली अपने भक्त को भोग, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करती हैं I



हमारी सेवाएं

जय माँ काली कलकत्ते वाली उनका वचन ना जाये खाली: -

ग्रहों के उपाय

कुडली में मौजूद ग्रहों की चाल का व्यक्ति के जीवन पर बहुत ही गहरा असर पड़ता है. ग्रहों की अच्छी स्थिति व्यक्ति की किस्मत चुटकियों में बदल सकती है, वहीं अगर ग्रहों की दशा खराब है तो वह जातक को राजा से रंक भी बना सकती हैI इसलिए ज्योतिष शास्त्र में ग्रह गोचर बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि ग्रहों की बदलती चाल पर जीवन में आने वाला बदलाव निर्भर करते हैं I जब भी कोई ग्रह चाल बदलता है तो सभी 12 राशियों पर उसका अच्छा व बुरा प्रभाव पड़ता है I कुछ उपायों को नियमित करते रहने से कभी भी किसी ग्रह की कुदृष्टि नहीं पड़ती, बल्कि ऐसे करने से वे सहायक बन जाते हैं I

नवग्रह के नाम हैं: - सूर्य देव, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु (बृहस्पति), शुक्र, शनि, राहू (उत्तर आसंधि) और केतु (दक्षिण आसंधि)

वशीकरण से छुटकारा

इस शब्द का अर्थ है वश/ अधीन में करना, इसे वश/ अधीन मैं करने की क्रिया भी केहते हैं, इस शब्द की वास्तव में कोई सीमा नहीं है। वशीकरण - मणि, मंत्र या औषध आदि के द्वारा किसी को अपने वश में करने का प्रयोग होता है और यह मंत्र, जादू-टोना, सम्मोहन आदि के द्वारा किया जाता है। विशेषतः तंत्र में चार प्रकार के प्रयाग कहे जाते है - मारण, मोहन, वशीकरण और उच्चाटण । अथर्ववेद में मंत्र सिद्ध करके मणि और औषध द्वारा वश में करने का उल्लेख भी है । वशीकरण का प्रयोग इच्छित लोगों सहायक या लक्षित वातावरण को अनुकूल बनाने के लिए एक आजमाई हुई अद्भुत प्रक्रिया है, ताकि जिस किसी द्वारा वशीकरण किया जाये तो उसे कुछ निश्चित परिणाम प्राप्त हो। वशीकरण मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है (सफ़ेद वशीकरण और काला वशीकरण)

सफ़ेद वशीकरण: सफ़ेद वशीकरण को सकारात्मक रूप में लिया जाता है । जिसका इस्तेमाल किसी अच्छे काम के लिए, जैसे किसी को अपनी ओर आकर्षित (विशेषकर शादी) करने के लिए, किसी के करियर ग्रोथ के लिए या फिर किसी की भी सेहत में सुधार करने के लिए किया जाता है।
काला वशीकरण: काले वशीकरण का सीधा सा नकारात्मक मतलब होता है। इस तरह का वशीकरण सीधे तौर पर तंत्र विद्या से ही किया जा सकता है और इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना होता है।

NOTE: - काला वशीकरण प्रक्रिया का हम समर्थन नहीं करते हैं। (यहाँ सिर्फ ज्ञान के लिए काला वशीकरण के बारे मैं बताया गया है; पर अगर आप काले वशीकरण से परेशान हैं तो हम इसका तोड़ भी जानते हैं)

पूजा-पाठ करवानी हो

अगर आपको किसी भी प्रकार की पाठ - पूजा करवानी है तो हमें संपर्क कर सकते हैं I शादी करवाना, नए घर मैं प्रवेश, नया दफ्तर या कारोबार खोला है, बच्चे का नामकरण, सत्यनारायण पूजा, हवन इत्यादि तो हम हर प्रकार की पाठ-पूजा करते हैं I

विवाह सम्बन्धित सारी परेशानियों से छुटकारा

अगर आप विवाह से सम्बन्धित किसी भी समस्या से परेशान हैं तो अब चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्यूंकि हम आपकी हर परेशानी का हल प्रदान करेंगे I जैसे कि शादी में अगर कोई भी रुकावट है जैसे शादी ना होना, प्रेम विवाह में रुकावट, पति -पत्त्नी में अनबन, गृह क्लेश, विवाहेतर संबंध, निःसंतान (कोख-बंधन), तलाक होना, मांगलिक - गैर-मांगलिक): - कुंडली / जन्म कुंडली; कुंडली मिलान

कारोबार / नौकरी के उपाय

कारोबार: अगर नया कारोबार शुरू करना है, कारोबार में बरकत नहीं है, या फिर कारोबार में नुकसान हो रहा हो या फिर आपके कारोबार को किसी ने बांध रखा हो, तो आपकी पूरी सहायता/मदद की जाएगी जिससे आपको कारोबार करने मैं आसानी रहे ।

नौकरी में दिक्कत से छुटकारा: अगर आप नौकरी करते हैं और आप अपनी पूरी मेहनत से अपना काम करते हैं, फिर भी आपको आपकी मेहनत आनुसार तरक्की नहीं मिल रही और आपको समझ नहीं आ रहा है कि क्या ऐसा करें कि आपकी दिक्कत दूर हो जाये तो हम आपकी मदद कर सकते हैं ताकि आपको दिशा प्राप्त हो I

वाम कर्म या काला जादू से छुटकारा

धर्म शास्त्रों मैं बताया गया है कि वाम कर्म या काला जादू (तांत्रिक , अघोरी इत्यादि द्वारा) किया जाता है I इस क्रिया को धर्म विरुद्ध बताया गया है I वाम का अर्थ उल्टा चलना मतलब की जो नकारात्मकता खोज ले हर बात मैं, साथ ही नियमों और पपम्पराओं के विरुद्ध चले I ऐसे लोगों को वाममार्गी कहते हैं I वशीकरण, सम्मोहन , मारण, टोने - टोटके, स्तम्भन, काला जादू, स्तम्भन, इत्यादि सभी क्रियाओं का वैदिक मत अनुसार निषेद है I तंत्र शासत्र मैं जिस तंत्र क्रिया की बात कही गयी है वह मोक्ष प्राप्त करने हेतु कही गयी है I तंत्र साधना मैं देवी काली,नौ दुर्गा, दस महाविद्या, अष्ट भैरवी, ६४ योगिनीआदि देवियों की साधना की जाती है, साथ ही देवताओं में काल भैरव, बटुक भैरव,नाग महाराज की साधना की जाती है I इन साधनाओं को छोड़कर अन्य साधनाएं जैसे यक्षिणी, पिशाचिनी, अप्सरा, वीर साधना, गनशाव साधना,किन्नर साधना,डाकिनी-शाकिनी दानव, भूत, वेताल, अघोर इत्यादि सब साधनाएँ निषेद हैं I

Note: अगर आप किसी भी वाम कर्म या काला जादू इत्यादि से परेशान हैं तो अब आपको चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है, हम आपकी हर समस्या का संधान करेंगे I

व्यक्तिगत टैरो कार्ड रीडिंग

टैरो कार्ड रीडिंग ज्योतिष का एक हिस्सा है, यह कार्टोमेंसी का एक रूप है जिसके तहत अभ्यासकर्ता कथित तौर पर अतीत, वर्तमान या भविष्य मेंअन्तर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए टैरो कार्ड का उपयोग करते हैं। वे एक प्रश्न बनाते हैं, फिर इस उद्देश्य के लिए उनकी व्याख्या करने के लिए कार्ड बनाते हैं। एक पारंपरिक टैरो डेक में 78 कार्ड होते हैं, जिन्हें दो समूहों, मेजर आर्काना और माइनर आर्काना में विभाजित किया जा सकता है। फ़्रेंच-अनुकूल प्लेइंग कार्ड का भी उपयोग किया जा सकता है; जैसा कि पहचाने जाने योग्य तत्वों (जैसे, वायु, पृथ्वी, अग्नि, जल) को सौंपे गए सूट वाला कोई भी कार्ड सिस्टम हो सकता है।

हिन्दू, मुस्लिम या अन्य पंथ के उपाय

अगर आपके ऊपर किसी भी पंथ (हिन्दू, मुस्लिम या अन्य किसी भी पंथ से) किसी ने आपके ऊपर कोई टोना-टोटका या फिर कोई नकारात्मक ऊर्जा छोड़ी हुई है और आप उससे परेशान हैं, तो अब आपको चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं हैं क्यूँकि हम आपकी हर समस्या / परेशानी का समाधान करने मैं सक्षम हैं I

अन्य समस्यायों से छुटकारा

ऊपर दिए गए सभी समस्यायों / कार्यों के निवारण के इलावा भी अगर आपको कोई दिक्कत या परेशानी आ रही है तो भी हम उन अन्य सभी समस्यायों का निवारण करने मैं भी सक्षम हैं ।

शरीर से सम्बन्धित बीमारी से छुटकारा

अगर आप किसी भी तरह की शारीरिक बीमारी से ग्रस्त हैं, तो आप डॉ. शुभ करण सिंग (DHMS) जी से सीधे संपर्क कर सकते हैं I डॉ. शुभ करण सिंग जी ३४ (34) सालों से लोगों का इलाज कर रहे हैं, होम्योपैथिक दवाइयों के ज्ञाता हैं और इंसान भी हसमुख हैंI वह बच्चों से बूढ़ों तक सबका इलाज करते हैं I

Address: -
Dr. Shubh Karan Singh (DHMS), Raja Ji Puram, Lucknow.
Mobile: - 9580710836
Timings: -
1. 9:00 AM to 12:00 PM and 5:00 PM to 9:00 PM (Monday to Saturday)
2. 5:00 PM to 9:00 PM (Sunday)

फोटो गैलरी

जय माँ काली कलकत्ते वाली उनका वचन ना जाये खाली: -

जय माँ काली

जय माँ काली

भिलाई माता

पोहलानी माता

शिव परिवार (अर्दनारेश्वर रूप)

बाबा बालकनाथ

मां चिंतप्रुणी

माता शीतला

माँ बगलामुखी

माँ कामाख्या

राम परिवार

नवगृह

अर्धनारीश्वर

शिव परिवार

महाकालेश्वर

नीलकंठ महादेव

शनिधाम

श्री नवग्रह यंत्र